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दिव्य नव्य व भव्य भारत के महा नायक राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी के शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि । डा कुमार लोकेश भारद्वाज 945012595


सम्पूर्ण प्रभु सत्ता संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतान्त्रिक, राज्यों का समूह दिव्य नव्य व भव्य भारत  का सपना शताब्दियों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को  सम्पूर्ण आजादी के रूप मे आत्मसात हुआ। 
पोरबन्दर रियासत के प्रधानमन्त्री के पुत्र राष्ट्रपिता मोहनदास  करमचंद  गांधीजी  का  जन्म  2  अक्टूबर  1869  को  हुआ  था। 




राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक में राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तिव का उनके जीवन पर प्रबल प्रभाव पड़ था। भारत मे आरंभिक शिक्षा के बाद  इंग्लैंड में कानून की डिग्री पूरी कर बैरिस्टर  की  हैसियत से अपना जीवन समाज को  समर्पित किया। गाँधी जी राम राज्य की सोच के  प्रमुख  राजनीतिक, आध्यात्मिक,  स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य सूत्रधार, नागरिक  अधिकारों,     अत्याचार और शोषण को समाप्त करने,   शारीरिक श्रम के पक्षधर,  सादा जीवन,  आत्मनिर्भर,  संसाधनों का अधिकतम उपयोग,  विदेशी उत्पादों के उपयोग का विरोध  और  स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग, चरखे से सूती धागा  बना कर हाथकरघा से वस्त्र उत्पादन कर उपयोग को बढ़ावा दिया था।
कृषि और कृषि कार्य के प्रबल  समर्थक,  अहिंसा आधारित  सविनय  अवज्ञा आंदोलन  की अवधारणा के अग्रणी  नेता  थे और संपूर्ण विश्व को  प्रेरित  किया। संस्कृत  में महात्मा  या  महान  आत्मा  एक  सम्मानजनक  शब्द  है  उन्हें   महात्मा  गांधी  के  नाम  से  जाना  जाता  है।   सर्वप्रथम  1915  में  राजवैद्य  जीवनराम  कालिदास  ने उन्हें  महात्मा  के  नाम  से संबोधन किया था। उन्हें  गुजराती  भाषा  में  बापू  यानी  पिता  के  नाम  से  भी  याद  किया  जाता  है। नेता जी सुभाष  चंद्र  बोस  ने  6  जुलाई , 1942  को  रंगून  रेडियो  से  राष्ट्र  के  नाम संबोधन में गांधीजी  को महात्मा गाँधी संबोधित  करते  हुए आजाद  हिंद  फौज  के  सैनिकों  के  लिए  उनका  आशीर्वाद  और  शुभकामनाएं  मांगी थीं।  प्रत्येक वर्ष 2  अक्टूबर गाँधी जी के जन्मदिन  को  भारत  में  गांधी  जयंती  और  पूरे  विश्व  में  अंतर्राष्ट्रीय  अहिंसा  दिवस  के  रूप  में  मनाया  जाता  है।  गांधी जी ने  सबसे  पहले  दक्षिण  अफ्रीका  में  भारतीय  समुदाय  के  लोगों  के  नागरिक  अधिकारों  के  लिए   प्रवासी  वकील  के  रूप  में  सत्याग्रह  किया था।  वह  1915  में  भारत  लौट कर किसानों  और मजदूरों  को  एकजुट  कर  भूमि  कर  और  भेदभाव  के  खिलाफ  आवाज उठाई थी ।  1921  में  भारतीय  राष्ट्रीय  कांग्रेस  के  अध्यक्ष   के  रूप मे राष्ट में गरीबी  से  राहत , महिलाओं  के  अधिकारों  के  विस्तार , धार्मिक  और  जातीय  एकता और  आत्मनिर्भरता    के  लिए  में अनवरत आंदोलन आयोजित  किए।  राष्ट्र में फैले अस्पृश्यता को मिटाने के लिए अछूतों  को "हरिजन" अर्थात भगवान के लोग का नाम दिया था। गांधीजी   शिक्षा  के  निचले  स्तर से  विशेष  कौशल  प्रशिक्षण  प्रदान कर  महिलाओं और वंचित समाज को  पुस्तक  शिक्षा के सापेक्ष व्यवसाय  उन्मुख , प्रयोगशाला  प्रशिक्षण द्वारा आत्मनिर्भर बनाने के पक्षधर थे।
राष्ट्र की आजादी के लिए  1920 में असहयोग आंदोलन,  1930  में  सविनय अवज्ञा आंदोलन कर नमक उत्पादन पर कर का  विरोध  किया था।  1942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदी अनवरत समर्पित संघर्षों के परिणाम स्वरूप राष्ट्र आज़ाद हुआ था।
महात्मा गांधी जी ने अहिंसा, सत्य, प्रेम और भाईचारे के उत्कृष्ट आदर्शों के साथ राष्ट्र की स्वतंत्रता  के सपने को सच्चाई में परिवर्तन कर दिया।   जीवन के  कठिन समय मे  अपने आदर्शों, विचारों, सिद्धांतों से कभी विचलित नहीं हुए। सरल सुबोध  सीधे, रंग  और जाति भेद  को समाप्त करने के लिए अंतिम सास तक संघर्षरत रहे थे।  
 30 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा मे  उनकी गोली मार कर हत्या कर दी  गई थी।  उनके शरीर का अंतिम संस्कार राजघाट, नई दिल्ली में किया गया था। उनके शहादत दिवस को  शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।अहिंसा,   एकता में विश्वास, समाज में अस्पृश्यता को दूर करने, वंचित समाज के उत्थान को समर्पित, गाव और किसानो के सर्वांगीण विकास की बुनियादी सोच और संघर्ष के जनक, स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की वकालत करने वाले,  स्वतंत्रता की अंतिम सास तक लड़ाई लड़ने वाले युग पुरूष को सादर नमन। 
पुनः उनके आदर्शों को अनुकरण, और अनुसरण करने की सौगंध खा कर विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं।

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