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राम स्वरुप शुक्ल किसान का बेटा, मजदूर से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तक।

राम स्वरुप शुक्ल किसान का बेटा, मजदूर से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तक।

डा लोकेश शुक्ल, लाजपत नगर, कानपुर।



श्री राम स्वरुप शुक्ल “बाबू जी” ने अपना प्रथम सेवायोजन अकबरपुर, व पुखराया के पशु मेले मे पर्ची लिख कर आरम्भ किया था। उनका जन्म 1 जुलाई 1929 को कानपुर वर्तमान मे कानपुर देहात के रिन्द नदी के किनारे स्थित अत्यन्त पिछडे गांव पेराजोर, ब्लाक सरवन खेडा, तहसील अकबरपुर मे हुआ था। गांव के अन्य बच्चो की तरह वह भी परिवार के साथ खेती मे हाथ बटाया करते थे। उनके पिता .श्री लक्ष्मी नरायन शुक्ल गरीब सीमान्त किसान थे। बाबू जी के दो भाई व तीन बहने थी। गरीबी व पढाई मे असीमित लगन के कारण वर्ष 1942 मे अपर मिडिल परीक्षा गांव से उत्र्तीण की। तदोपरान्त बोर्ड आफ हाईस्कूल एन्ड ईन्टर मीडिएट एडुकेशन यूनाईटेड प्रोविन्स से 1944 में हाईस्कूल, व वर्ष 1946 इण्टर मीडियेट की परीक्षा हलीम मुस्लिम ईन्टर कालेज से उत्र्तीण की थी। 

गांव से हलीम कालेज के रास्ते मे आर्डिनेन्स फैक्ट्री में आवश्यक्ता है लेबर( मजदूर ) का विज्ञापन देख आवेदन कर मजदूर की नौकरी वर्ष 1946 मे ही आरम्भ की थी। कुछ माह बाद अच्छी हिन्दी, उर्दू, व अग्रेजी के जानकार होने के कारण आर्डिनेन्स फैक्ट्री द्वारा आयोजित डिफेन्स लेखा परीक्षक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर आर्डिनेन्स फैक्ट्री आगरा में आडिट क्लर्क की नौकरी शुरु कर दी। आर्डिनेन्स फैक्ट्री कार्यरत रहते प्रोन्नत की लालसा मे वर्ष 1946 मे ही हिन्दू मुस्लिम का भेद भुला कर के आर्डिनेन्स फैक्ट्री लाहैार पाकिस्तान मे स्थानान्तरण का आवेदन कर आर्डिनेन्स फैक्ट्री लाहैार मे कार्य शुरु कर दिया। वर्ष 1947 मे भारत व पाकिस्तान के विभाजन की कार्यवाही के पूर्व ही उन्हे भारत वापस कर आर्डिनेन्स फैक्ट्री दिल्ली मे वापस तैनात कर दिया गया। 

भारत सरकार के दिशा निर्देश, पाकिस्तान से वापस आने व अन्य कारणो से डिफेन्स सेवा से कार्य मुक्त कर दिया गया। साथ ही वर्ष 1948 में आगरा विश्व विद्यालय के हलीम मुस्लिम डिग्री कालेज परीक्षा केन्द्र से व्यक्तिगत अभ्यार्थी के रुप मे स्नातक व वर्ष 1950 मे अर्थशास्त्र मे परास्नातक की डिग्री डी. ए. वी. डिग्री कालेज कानपुर से उत्र्तीण की थी। पाकिस्तान से वापस आने के बाद उत्तर प्रदेश श्रम विभाग मे श्रमायुक्त के सहायक निजी सचिव की नौकरी की। परन्तु परिवार के सदस्यो व साथियो द्वारा श्रम विभाग की नौकरी को सम्मान न दिये जाने के कारण हलीम मुस्लिम ईन्टर कालेज में अग्रेजी विषय के प्रवक्ता के रुप मे अध्यापन कार्य आरम्भ कर दिया एवम शिक्षक अभ्यार्थी के रुप मे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित लाइसेन्टीयेट टीचर ट्रेनिग (यल. टी. प्रशिक्षण) डी. ए. वी. यल. टी. कालेज, कानपुर से वर्ष 1951 मे उत्र्तीण की।

स्वतन्त्रता प्राप्त के बाद लोकतन्त्र की स्थापना ने देश के आम नागरिको को सरकारी नौकरी के प्रचुर अवसर उपलब्ध होने लगे तथा प्रदेश सरकार ने हर स्तर के अधिकारियो की आवश्यक्ता के कारण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पदो पर भर्ती परीक्षा आयोजित की जाने लगी, पठन पाठन के धनी, मेहनतकस, लगन शील होने के कारण वर्ष 1951 की परीक्षा मे उच्च स्थान पर चयन हुआ। साक्षात्कार मे प्रदेश की सेवा का सर्वग पूछने पर पुलिस विभाग का विकल्प दिया तथा वर्ष 1952 मे ही आगरा जनपद के पुलिस सर्तकता विभाग के कार्यालय मे पांच थाने के दरोगा (वर्तमान क्षेत्राधिकारी) के पद पर काम आरम्भ किया। पुलिस की आवश्यक्ता के अनुरुप रु सौ का अग्नेयास्त्र क्रय करने का आदेश दिया। बाबू जी ने चेकोस्लाविया निर्मित 32 बोर का पिस्टल कानपुर से लाईसेन्स बनवा कर हिन्दुस्तान गन हाउस, मेस्टन रोड, परेड, कानपुर से खरीदा था। सर्तकता विभाग की नौकरीयो का संविलियन नगर पुलिस मे होने के कारण तत्कालीन पुलिस अधीक्षक श्री याद अली जी की सस्तुति पर प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग मे स्थानान्तरण कर दिया।

शिक्षा विभाग मे पहली तैनाती हमीरपुर जिले मे हुयी तदोपरान्त वह बलरामपुर सहित प्रदेश के अधिकांश जिले मे तैनात रहे थे। वह वर्ष 1971 मे उन्नाव जिले मे जिला प्रैाढ शिक्षा अधिकारी, वर्ष 1976 आपात काल मे झांसी जिले के विभाजन के उपरान्त सृजित ललितपुर जिले मे प्रथम परियोजना अधिकारी के रुप मे तैनात किये गये थे। वर्ष 1977 मे उप विद्यालय निरीक्षक लखनऊ थे जनता पार्टी की सरकार आने व सरकार बदलने के साथ ही उनका स्थानान्तरण पीलीभीत कर दिया गया था। तदोपरान्त सहायक सचिव उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ईलाहाबाद मे स्थानान्तरित हुये। वह रुडकी के राजकीय ईन्टर कालेज के साथ नारमल स्कूल के प्रधानाचार्य के पद पर तैनात रहे। वह लम्बे समय तक वह चमैली जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक पद के प्रभार मे रहे। चमौली जिले के तलवाडी राजकीय ईन्टर कालेज के प्रधानाचार्य के पद पर तैनात रहे। चमौली के उपरान्त व फतेहगढ जिले मे सह जिला विद्यालय निरीक्षक पद पर भी रहे। वह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फतेहगढ के पद पर भी तैनात रहे ।

वह किसान के बेटे, मजदूर से प्रदेश सेवा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के रुप सेवायोजित रहते 58 वर्ष की अधिवर्षता आयु पूर्ण कर जून 1987 मे सेवा निवृत्त हुये थे।

उन्होने अन्तिम सांस सजंय गान्धी पोस्ट ग्रजुयेट संस्थान लखनऊ मं 14 अप्रैल 2009 तथा अन्तिम विदा अपने निवास 120/69 लाजपत नगर, कानपुर से भौरो घाट कानपुर को 15 अप्रैल 2009 को ली थी।

हम सपरिवार उनकी पुण्यतिथि पर उनके संस्कारो, त्याग व कठिन परिश्रम को स्मरण कर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि सादर समर्पित करते है ।



बाबू जी, आपकी याद आती है तो रो लेता हॅू ।

अम्मा जी के उपस्थिति मे नम आखो को पोछ लेता हॅू ।

आपके निर्भीक व्यक्तित्व, नियमो व संस्कारो पर गतिमान हॅू ।

खानदान मे कोई बडा नही है।

कुसुम जीजी भी लाजपत नगर मे अन्तिम सांस ले कर चली गयी।

चाची, व चाचा भी लखनऊ मे आर्शीवाद दे कर चले गये ।

रजोल व पुतल्ली भईया भी गॅाव का घर सूना कर गये ।

फूफा जी भी विजय नगर से अलविदा हो गये ।

देवेश व पूरा परिवार आप सभी के शुभाशीषो से जी रहे है ।

स्मृतिशेष जनो की तपस्या, लगन व परिश्रम हरपल हमारे साथ है

स्मृतिशेष जनो को भी आपकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि व नमन।

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