स्वतंत्रता सेंनानी की कलम से मुखिया जी पलट गये
स्वतंत्रता सभी मनुष्य का ऐसा जन्म सिद्व अधिकार है जिसे किसी भी स्थित में छीना नही जा सकता है । उसे मनुष्य क्रान्ति से भी प्राप्त करता है
पं0 राम स्वरूप शुक्ल
मेरा जन्म सन 1924 ई0 को उत्तर प्रदेश 1 के कानपुर शहर से 20 किलोमीटर कानपुर-कालपी राजमार्ग से 31/2किमी. दूर रायपुर गजनेर रोड़ पर रिन्द नदी के तट पर स्थित ग्राम पेराजोर में मध्यम वर्गीय ब्राम्हण परिवार में हुआ था । पिता पं0 लक्ष्मी नारायण शुक्ल व माता श्री मती जीजा देवी के घर में, हम तीन भाई व तीन बहिने के बीच मे मै था । छैःवर्ष की उम्र में मुझे गाॅव के ही प्राईमरी स्कूल में शिक्षा के लिए भर्ती करवाया गया । गाॅव के स्कूल से मैने लोवर मिडिल तक शिक्षा प्राप्त की । मुझे पढ़ने लिखने का बहुत शौैक था स्कूल के अतिरिक्त घर के सामान्य कृषि कार्य और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान लगाता था लोवर मिडिल पास करने के बाद मुझे मेरे बड़े भाई श्री श्री नरायण शुक्ल ने गाॅव से 8 किलो मीटर दूर अकबरपुर मिडिल स्कूल से वर्ष 1939 में भर्ती करा दिया मैने 1944 में मिडिल की परीक्षा मे पुरे जिले अव्वल स्थान प्राप्त किया ।
मै बचपन से ही षिवाजी, राणाप्रताप, गुरूगोविन्द सिंह, स्वामी विवेकानन्द के जीवन और उनकी देश भक्ति शिक्षा ने मुझे बहुत प्रभावित किया है जिससे मेरे अन्दर देश भक्ति की भावना और अपने देश के लिये त्याग करने का बीजारोपण हुआ।
बर्ष 1942 की बात है उस समय मेरी उम्र केवल 15-16 वर्ष की थी। देश के चारो तरफ स्वतंत्रता की सरगर्मी नज़र आ रही थी महात्मा गाॅधी ने अग्रेजी हुकुमत के खिलाफ अहिंसात्मक आन्दोलन चला रक्खा था गाॅधी जी अपील की थी कि छात्र अग्रेजी शिक्षा का, वकील वकालत का, नौकर पेशा अग्रेजी हुकमत की नौकरी का, अध्यापक अपने स्कूलो तथा अन्य सभी सारी षक्ति लगा कर अग्रेजी हुकुमत का बहिष्कार करें और अपनी प्यारी मातृभूमि को गुलामी की बेड़ियां काटने के लिये अपना सर्वस्व बलिदान करने को तैयार हो जाय देश के कोने कोने में देशभक्ति की लहर फैल रही थी गांधी जी ने यह भी कहा था कि ’यदि लोग अपनी सारी शक्ति के साथ असहयोग अन्दोलन में भाग लें तो एक साल में स्वराज्य मिल जायेगा‘ नेता लोग अपने लेखो व भाषणो में कहते थे कि ‘एक साल में मिले स्वराज कहे गाॅधी महराज‘ स्कूूली छात्रो के बीच यह दलील दी जाती थी कि यदि उनके स्कूल छोड़ देने से देश को एक वर्ष में स्वराज्य मिल जाता है तो यह ऐसी कठिन कुर्बानी नही प्रतीत होती है नही की जा सके । सिर्फ एक वर्ष के लिये स्कूली या कालेज छोड देने से देश आजाद हो सकता है तो इससे अधिक प्रसन्ना की क्या बात हो सकती है गाॅधी जी एक अवतारी पुरूष है जो निष्चय ही देश की आजादी दिला देगे इस स्थित में गाॅव के नौजवानो में खुब जोश पैदा हो गया और गाधी जी के आवा्हन पर हम सब कुछ छोडने को तैयार हो गये ।
वर्ष 1942 के 8 अगस्त का दिन जब सम्पूर्ण भारत में गाधी जी ने भारत छोडो आन्दोलन का आवाहन किया तो पेराजोर गाॅव के क्रान्तिवीर भी इससे अछूते न रह सके । पेराजोर के निकटवर्ती गाॅव गोगूमउ के मुखिया के घर पर फिरंगी हुकुमत को मार भगाने की रणनीत पर विचार विमर्ष हुआ मुखिया जी सदैव से अग्रेज हुकुमत के हिमायती, परन्तु पेराजोर गाॅव के हम पलटू ठाकुर, रामस्वरूप, कप्तान के दिलो में क्रान्तिकारी का जुनून था उन्होने निष्चय कर रक्खा था कि अब हमें और अधिक गुलामी सहन नही ,अग्रेजो इस देश को छोड़ कर चले जाओ भगत सिंह,चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव के विचारो से प्रेरित आजादी के दीवानो ने 7 अगस्त की सुबह से ही मन में देश की आजादी का संकल्प लिये हुये सभी देशभक्त नवयुवक गांव की चैपाल में शुक्लाघाट के किनारे इकट्ठा हुये और यह निष्चय करके कसम ली कि आज से गाॅव में अग्रेजो की यह गुलामी की रेल पार नही होगी । यो तो पुरा गांव आजादी के लिये दीवाना था परन्तु इस निर्णय को पुरा करने के लिये कुछ चुनिन्दा नव युवको की टोली गठित की गयी टोली का नेतृत्व रामस्वरूप जी के हाथो में दिया गया । टोली के सदस्यो ने निर्णय किया कि आज यह रेल पटरी उखाड़ फेकी जाय इस कार्य के लिये निकट वर्ती गाॅव रोरवा के लोहार के लडके से संम्पर्क साधा गया। पर्व निष्चित समय शाम सात बजे से पहले ही गाॅववाले पुल के नीचे इकट्ठा होने लगे और सांझ ढलते ही गाॅव के कासन संख्या 41 और 42 के बीच मे 230 मीटर की लोहे पटरियाॅ काटकर रिन्द नदी में बहा दी गयी कुछ अति उमंग से ओतप्रोत क्रान्तिकारी पटरियो को लेकर गाॅव के अन्दर आ गये परन्तु बड़े बजुर्गो के समझाने पर लाखन के घर के सामने के कुए मे फेक दिया ट्ेन का समय रात 12.30 मिनट था उसके ट्ायल गाडी में रेल पथ निरीक्षक राबर्ट हुड जब निकले तो उन्हे मालूम हुआ कि रेल की पटरियो जगह-जगह उखाड दी गयी ‘हुड़‘ महाश्य के होश फाख्ते हो गये । क्योकि उस दिन आने वाली ट्ेन में मण्डल के डिप्टी गर्वनर भी उसमें रानी लक्ष्मी बाई के वारिस के निर्णय के लिये कमेटी मे भाग लेने जा रहे थे हुड ने तुरन्त निकटवर्ती स्टेशन पाॅबा को सूचना देना चाहा जिसके लिये उन्होने गाॅव में किसी ने दरवाजे नही खोले राबर्ट हुड नाराज हो गये पास के दूसरे गंाव से किसी तरह सहायता लेकर रेल गाडी रूकवाने का प्रबन्ध किया, और इसकी सूचना जिला कलक्टर को दी रेल महकमें के आला अफसराॅन जिला मजिस्टे्ट थाना सचेंडी के पुलिस अफसर सभी रात में गाव पहुचे और मौका मुआयना किया गाव के लोगो से पुछताछ के लिये पुलिस गांव गयी पुरा गाव खाली हो चुका था एक भी पुरूष गावं में नही था अग्रेज पुलिस ने महिलाओ को पकड़ कर जबरदस्ती उनसे जुर्म कबूल करवाने के लिए एवं क्रान्तिकारियो का पता पुछने के लि ये तरह तरह की यातनाये एवं प्रलोभन दिया,परन्तु किसी का मुॅह नही खुलवा सके। जिला कलेक्ट्र ने खुफिया सूचना के आधार पर गाॅव के 22 लोगो को गिरफतार किया।किसी से भी घटना के बारे में जानकारी न देने के पर आखिर हार कर कलेक्ट्र ने 22 हजार रूपये का सामूहिक जुर्माना बोल दिया गया। गाॅव में लगान की रकम दुगनी कर दी गयी, गाॅव के लोगो के लिये रेल में यात्रा करने पर पाबन्दी लगा दी गई ।
लेकिन आजादी के इन दीवानो ने सब जुल्म सहे पर देश को आजाद किये बिना अब चैन नही का बीडा उठाये इन युवको का उमंग एवं जोश देख मुखिया जी ने भी वचन लिया एवं गाॅव की मिटटी उठाकर कसम खायी कि अब जब तक देष आजाद नही होता वे अन्न ग्रहण नही करेगें और मुखिया जी ने टोली नायक राम स्वरूप का आजादी तक साथ निभाया।
मैने आजादी की लडाई को अधूरा पाया। जब तक की शिक्षा दीक्षा व उत्कृष्ट सेवायोजन न हो मैने पहले पहल हलीम कालेज कानपुर मेें वर्ष 1948 में अग्रेजी प्रवक्ता की नौकरी हासिल की फिर बी0ए0,एल0टी0,एम0ए0, व साहित्य रत्न की उपाधि प्राप्त कर वर्ष1952 में सब डिप्टी इन्सपेक्ट्र आफ स्कूलस् की नौकरी प्राप्त की तथा पुनःराज्य स्तरीय परीक्षाओ के माध्यम से प्रदेष स्तरीय शिक्षा सेवा के विभिन्न पदो, प्रधानाचार्य राजकीय इण्टर कालेज, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विघालय निरीक्षक के पद से सेवा निवृत्त हो कर दो पुत्र एवं पुत्रियो अच्छे स्थानो में समायोजित है मै अभी अग्रेजो के खिलाफ आजादी की जंग की जीत पर उतना खुश नही हॅू जितना की दुखी हॅू अंग्रेजो द्वारा भारत में कुषासन भ्रष्टाचार, रिष्वत खोरी जैसी कुरीतियो के प्रचलन की वृद्वि से सभी नवयुवको से अवह्न करना हॅू कि अंग्रेजो द्वारा स्थापित कुरितियो से देश को आजाद करायें हम अभी भी उनके साथ है ।
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