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संपत्ति विवाद समाधान एक अध्ययन डा. कुमार लोकेश भारद्वाज, मोबाईल 9450125954

संपत्ति लैटिन शब्द ‘प्रॉपराइटैट और फ्रेंच शब्द ‘प्रॉप्रियस’ से लिया गया है, जिसका अभिप्राय ‘स्वामित्व वाली वस्तु। संपत्ति का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योकि भौतिक वस्तुओं के उपयोग के बिना जीवन संभव नही है। 

संपत्ति और स्वामित्व परस्पर अन्योन्याश्रित और सहसंबंधी हैं।  स्वामित्व के बिना कोई संपत्ति नहीं होती और संपत्ति के बिना कोई स्वामित्व नहीं होता है। वर्तमान मे संपत्ति जीवन स्तर, स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अन्य दावे द्वारा परिभाषित है। वास्तव मे संपत्ति संकीर्ण भौतिक वस्तु है जिसका स्वामित्व अधिकार से अधिक कुछ नहीं है।  

संपत्ति अचल या चल हो सकती है। अचल संपत्ति  वह है जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा सकती है। जिसमे भूमि, भवन, घर, वाणिज्यिक भवन, गोदाम, निर्माण इकाई, कारखाना, धरती से जुड़े पेड़-पौधे आदि शामिल हैं। अचल संपत्ति पर कराधान अनुमन्य है। 

संपत्ति अधिनियम, 1882 के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 22 के अनुसार भूमि और जमीन पर स्थायी चीजों को छोड़कर किसी भी भौतिक संपत्ति केा चल संपत्ति कहते है । चल संपत्ति शब्द का उल्लेख सामान्य खंड अधिनियम, 1847 और हस्तांतरण की धारा 12(36) में वस्तु। संपत्ति का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योकि भौतिक वस्तुओं के उपयोग के बिना जीवन संभव नही है। 

संपत्ति और स्वामित्व परस्पर अन्योन्याश्रित और सहसंबंधी हैं।  स्वामित्व के बिना कोई संपत्ति नहीं होती और संपत्ति के बिना कोई स्वामित्व नहीं होता है। वर्तमान मे संपत्ति जीवन स्तर, स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अन्य दावे द्वारा परिभाषित है। वास्तव मे संपत्ति संकीर्ण भौतिक वस्तु है जिसका स्वामित्व अधिकार से अधिक कुछ नहीं है।  

संपत्ति अचल या चल हो सकती है। अचल संपत्ति  वह है जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा सकती है। जिसमे भूमि, भवन, घर, वाणिज्यिक भवन, गोदाम, निर्माण इकाई, कारखाना, धरती से जुड़े पेड़-पौधे आदि शामिल हैं। अचल संपत्ति पर कराधान अनुमन्य है। 

संपत्ति अधिनियम, 1882 के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 22 के अनुसार भूमि और जमीन पर स्थायी चीजों को छोड़कर किसी भी भौतिक संपत्ति केा चल संपत्ति कहते है । चल संपत्ति शब्द का उल्लेख सामान्य खंड अधिनियम, 1847 और हस्तांतरण की धारा 12(36) में किया गया है। चल संपत्ति आभूषण, घड़ियां, कंप्यूटर, धन आदि  है।

परिवार के सम्मान की परवाह किए बिना संपत्ति परिवारिक सदस्यों के बीच विवाद का विषय बन जाती है। पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा हो तो ज्यादा से ज्यादा हिस्सा पाने की इच्छा होती है।

लालच के अलावा, संपत्ति के विवाद का एक अन्य कारण संपत्ति विरासत कानूनों के बारे में ज्ञान और स्पष्टता की कमी हो सकती है। भारत में परिवार के भीतर संपत्ति को संयुक्त रूप से रखने की एक मजबूत संस्कृति है। परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने पर संयुक्त परिवार में मतभेद हो जाते हैं, और संपत्ति के वितरण की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

भारत में अल्प आय से समृद्ध परिवारों मे संपत्ति के वितरण, स्वामित्व, बिक्री और खरीद विषयक विवाद परिवार के सदस्यों विशेषकर भाइयों व बहनो के बीच सामान्य है। संपत्ति विवाद परिवार के सदस्यो के मध्य भूमि और भवनों के वितरण, भूमि क्रेता व विक्रेताओं,  जमींदारों और किरायेदारों के बीच उत्पन्न हो सकते हैं। पैतृक भूमि पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है। सामान्यत संपत्ति विवाद स्वामित्व, क्रय, विक्रय कानूनी उत्तराधिकारियों का सह-मालिकाना हक, गलत शीर्षक, वसीयत रहित संपत्ति, सुखभोग अधिकारों के आदि के होते हैं। हमारे देश में भूमि के स्वामित्व, अधिग्रहण, हस्तांतरण, खरीद, बिक्री आदी प्रबंधन के अधिकार व कर्तव्य नियंत्रित करने वाले कानून और अधिनियम के आधर पर संपत्ति हस्तांतरण की जाती है। पूर्व में संपत्ति विवाद परिवारिक सुलाह समझौता से सुलझ जाते थें लेकिन वर्तमान मे अधिकांश वाद अदालतों मे लम्बी, कठिन और महंगी अदालती प्रक्रिया में परिवर्तित हो जाते हैं व वादो की संख्या हर साल बढ़ रही है। भारत में अधिकांश संपत्ति विवाद अचल संपत्ति से संबंधित हैं। जो अदालतो में लम्बित कुल वादो के 66 प्रतिशत से अधिक है।

परिवार में ज्यादातर विवाद माता-पिता के स्वामित्व वाली संपत्ति में होता है। स्व-अर्जित व पैतृक संपत्ति के लिये अलग अलग कानून व हस्तांतरण प्रक्रिया हैं। 

संपत्ति विषयक सामान्य विवाद निम्न होते हैं ।

 भाइयों के बीच संपत्ति का वितरण

 बहनों के बीच  संपत्ति का वितरण

 संपत्ति का स्वामित्व जहां दूसरा विवाह शामिल है

 बहुत पुरानी संपत्ति जहां स्वामित्व स्पष्ट नही है ।

 जमींदार विषयक

 किरायेदार से विवाद

 क्रय व विक्रय विषयक


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